संदेश

जून 3, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
बेचैन रहा मजबूर रहा, क्या इस दिल का कुसूर रहा, बीती रात उनकी महेफिल का कुछ यूँ दस्तूर रहा , दिल से खेल खेलने वालों में ये दिल मशहूर रहा, बड़ा फीका उनके इश्क का फितूर रहा, इस रेत को तो पा लिया, और रूह से दूर रहा.