"बेबस उजाले" लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप जनवरी 06, 2019 उजाले बेबस से हैं अँधेरे गाँव में, धुप नहीं रिसती जाड़ दरख्तों की छाओं में, बेक्स परिंदे सय्याद के हम नफस हो बैठे, ये कौन सा रंग बिखरा है फिजाओं में, अदीब तुम सही पर हमसे बुतपरस... और पढ़ें