तसल्ली नही

हुआ एक अरसा तसल्ली नही,

ये अरमां ये दुनिया तसल्ली नही,

ये होनी के होने में ऐसे फसे,

जो ऐसा हुआ तो तसल्ली नही,

जो वैसा हुआ तो तसल्ली नही,

खुली आँख झपकी धुआं उड़ चला,

ये खाबों का कोहरा तसल्ली नही,

ये रिश्तो की भाषा अजब हो गई,

कोई हाथ छोड़े तसल्ली नही,

कोई हाथ थामे तसल्ली नही,

मिला एक साहिल न ठहेरा कभी,

वो दूजा खड़ा है तसल्ली नही,

इस तूफा में राही को क्या घर दिखा,

जो साया मिला तो तसल्ली नही,

जो ना मिल सका तो तसल्ली नही,

देखो नादा जूते के फीते कसे,

कई गाँठ गांठी पतंगे उड़ीं,

कोई गाँठ छु टी तसल्ली नही,

उन भूखो की चर्बी कहाँ तक चले,

ये भेली का धेला,

जो तेरा हुआ तो तसल्ली नही,

जो मेरा हुआ तो तसल्ली नही।

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