"मेरे दोस्त"

तुम सब हो तो बहाना है,

वक़्त के दामन से एक मुस्कान चुरा लूँ,

जिंदगी के इस मोड़ से गुजरते हुए,

एक छोटा सा मीठा सा किस्सा उठा लूँ,

ये धीरे धीरे जलती जिंदगी की लौ में,

लम्हे मोम की तरह पिघलते हैं,

कितना भी थामों इन्हें,

हाथों से रेत की तरह फिसलते है,

हाथों से फिसलती इस रेत का,

एक छोटा सा यादों का घर ही बना लूँ,

तुम सब हो तो बहाना है,

वक़्त के दामन से एक मुस्कान चुरा लूँ।

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