छोटी सी बात
क्यों छोटी सी बात लिए फिरता है तू,
लम्हों की खैरात लिए फिरता है तू,
पतझड़ में विकराल विटप ने भी अपने पत्ते त्यागे,
सावन की सौगात लिए फिरता है तू,
देखो क्या सैलाब उठा है, तिनका तिनका बह जाए,
रिमझिम से ज़ज्बात लिया फिरता है तू,
मतलब हो बेमतलब हो, उनकी रुतबा और हुआ,
बिन बातों की बात लिए फिरता है तू,
मतलब की दुनिया ये सारी, किसने किसके घाओ भरे,
सीने पर आघात लिए फिरता है तू,
क्यों छोटी सी बात लिए फिरता है तू
लम्हों की खैरात लिए फिरता है तू,
पतझड़ में विकराल विटप ने भी अपने पत्ते त्यागे,
सावन की सौगात लिए फिरता है तू,
देखो क्या सैलाब उठा है, तिनका तिनका बह जाए,
रिमझिम से ज़ज्बात लिया फिरता है तू,
मतलब हो बेमतलब हो, उनकी रुतबा और हुआ,
बिन बातों की बात लिए फिरता है तू,
मतलब की दुनिया ये सारी, किसने किसके घाओ भरे,
सीने पर आघात लिए फिरता है तू,
क्यों छोटी सी बात लिए फिरता है तू
टिप्पणियाँ
♥
पतझड़ में विकराल विटप ने भी अपने पत्ते त्यागे
सावन की सौगात लिए फिरता है तू
भई वाह ! क्या बात कही है …
प्रिय बंधुवर गौरव सिंह जी
सस्नेहाभिवादन !
क्यों छोटी सी बात लिए फिरता है तू के माध्यम से आपने बहुत बड़ी बात कहदी…
नई रचना कब लगाएंगे …
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सीने पर आघात लिए फिरता है तू,... क्या बात है .. !!