"ना चीरहरण कर भारत का"




ना चीरहरण कर भारत का,
ना सूर्यग्रहण कर भारत का,

तू बना क्लिस्ट दुर्गम पथ को,
ना लहू चरण कर भारत का,

रुक अग्य मूर्ख किस ओर चला,
एक और सदन को फूक जला,
ना लॅंक दहन कर भारत का,

ना सूर्यग्रहण कर भारत का,

हठ ठान विशुद्ध विचारों का,
हठ ठान नीरवता नारों का,
तू राग अमन कर भारत का,

ताप पॅशचताप का अग्निकुण्ड,
जप मन्त्र यशाश्वी महापुंज,
तू आज हवन कर भारत का,

उँचा उठ ज्यों हिम अडिग खड़ा,
हर दूषड़ता की बली चढ़ा,
तू मुक्त गगन कर भारत का,

तू आज नमन कर भारत का.

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