Umra
रूखी-रूखी पीठ उमर की नाखूनो से छीले,
चुटकी काटे सुन्न बदन पर अंग पड़ गये नीले,
झाँकर जैसे सीक जिस्म पर कपड़े ढीले-ढीले,
रिश्तों के ये घाओ ज़ेहेन पर अरमानो से सीले,
जिगर में गहेरी धस ती जाएँ तानो की ये कीलें,
कैसे पीलूँ घूट सुकून का एक मर्तबा जीले,
तचती धरती कंकड़ पत्थर पावं पड़ गये नीले,
अब तो कैसे पार ही होंगे उचे-उचे टीले.
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