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जून 16, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
इस समाज की परम्पराओं के धारणाओ के , न जाने कई बांध लांघे मैंने , हौसला तुम हो , खुद से न जाने कई सवाल और न जाने कितने ही सौदे , और अब् फैसला तुम हो ।