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"तेरा नूर"

कमर से खोल कर, तेरी बाहों के फंदे, मेरी खामोश एक हलकी सी, करवट को छुपाकर, पलकों पर रख दूंगा, सुबह की ओस के दो मोती, चेहरे को भर कर ओख में, जैसे सुनहरी झील का पानी, पुकारूंगा मैं तेरा नाम की जैसे, कली को चूमती है सेहर की धुप, छूकर मेरी आवाज़ जब तुम, धीरे से अपनी आँखें खोलोगे, तेरे उस नूर से मैं भी हसीं हो जाऊंगा.