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जून 3, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"दिल के बोल"

देखो जिंदगी ख़ाक हुई ना, फिर वोही बात हुई ना, एक रिश्ते से खिलवाड़ किया, जो टूटा तो आवाज़ हुई ना, माना के वो दिन गुलशन थे, अब् पतझड़ हर् एक रात हुई ना, दिल-ए-नादाँ को सुकून मिला ना, बेचैनी बिन बात हुई ना, ना कुछ सोचा ना कुछ भाला, एक चिंगारी से आग हुई ना, एक हाड़ मॉस की लड़की को, तुम खुदा नवाज़ा करते थे, लो अब् वोही जल्लाद हुई ना।