संदेश

अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

'जर्द आँखें'

एक पल इधर बुझ रहा है, एक लम्हा उधर भी जल रहा होगा, एक आह मैं दबाये बैठा हूँ, एक दर्द उधर भी पल रहा होगा, वोः रात अब भी सुलगती है मेरी सांसों में, तेरा जिस्म भी रातों को जल रहा होगा, है कोई राज़ उन तारीक़ जर्द आँखों का, हाँ कोई ख्वाब पलकों से ढल गया होगा.

'वोः तेरा है'

इस दिल में एक एहसास है, जो तेरा है, इन पलकों पर एक ख्वाब है, जो तेरा है, इस दुनिया दारी काम काज से बोहोत अलग, एक लम्हा है जो ख़ास है, वोः तेरा है, इन जाली रिश्तों और रस्मों से दूर कहीं, ये नाजुक सा जो साथ है, वोः तेरा है, जो हमने मिलकर जोड़ा था, हाँ उस दिल का, एक टुकड़ा मेरे पास है, जो तेरा है, बस यह ख्वाइश है, कभी जो ऐसा कह पाऊं, जो कुछ भी मेरे पास है, वोः तेरा है.