खुशी भाग - 3


अब व्यक्ति कैसे खुश रहे जब दुर्भाग्य कुंडली पर कुंडली मारे बैठा हो, देखने वाली और सराहने वाली बात है की जन ऐसी स्तिथियों में भी खुश मिले, भले ही शर्मा जी अपनी परिस्तिथियों को कोस रहे थे पर खुश थे, खुश क्यों?? खुश थे पड़ोस के गुप्ता जी को देख कर जिनकी स्तिथि उनसे भी गई गुजरी थी, अजीब विषय है और कितना अजीब व्यवहार है इस जीव का जिसे हम इंसान कहते हैं.
अब गुप्ता जी ने मई के महीने में आम ना खाकर ककड़ी क्यों खाई इसकी तो एक वजह यह भी हो सकती है की गुप्ता जी का पेट ख़राब हो, दमा लगा हुआ हो उन्हें, मैं ये दमे वाली बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि गुप्ता जी का पाखाना दिन में चार बार साफ़ होता था.
अब आप लोग भले ही शर्मा जी और गुप्ता जी के बारे में सोच रहे हों पर मैं सोच रहा हूँ उस आम वाले के बारे में जिसके आम शायद कुछ कम बिके क्योंकि गुप्ता जी ने इस बार आम नहीं खाए और मैं सोच रहा हूँ उस भंगी के बारे में जिसकी कमाई गुप्ता जी के दमे ने बढ़ा दी.
अब आम वाला किसे कोसे गा ?? भंगी को, गुप्ता जी को या फिर शर्मा जी को ये मैं नहीं जानता, कब कहाँ कौन सी कड़ी कैसे जुड़ जाये यह बस मष्तिष्क का खेल है और वही जनता है.

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