ख़ुशी भाग - 4


ख़ुशी का एक और सिद्धांत है जब अक्सर लोग अपनी आज की वास्तविकता को छोड़ अपने अतीत के पर्दों में झांकते हैं और अपनी बुद्धिमत्ता के तराजू में अपने आज और कल को तोलते हैं इस विचार के साथ की अतीत के कठिन वक्त की कमी पूर्ती भविस्य में हो जाएगी, कठिन वक़्त है गुज़र जायेगा या गुज़र गया और बेहतर दिन बस कुछ कदम और दूर हैं, अतीत का कोहरा भविष्य में छट जायेगा.
और इस आशा में मन को भावन करते कई युवा वयस्क में तब्दील हो गए, वयस्क अधेड़ और अधेड़ बूढ़े हो चले.
जीवन सूची के विभिन्न चरणों का लेखा जोखा लिए खुशी और शोक के आडे टेढ़े गुड़ा भाग को करते करते इंसान जीना तो भूल ही गया.
एक बड़े कारखाने में लगी हेवी ड्यूटी मशीन के पुर्ज़े जिन्हे घड़ी-घड़ी कसा जाता है, क्योंकि पुर्ज़ा ढीला हो जाये तो बोहोत कष्टप्रद शोर करते हैं, कारखाने का मैकेनिक अक्सर आके उन्हे चूड़ियों से फिर कस जाता है जिससे कारखाना चलता रहे.
इंसान भी बस दुःख नाम के इन पुर्ज़ों को बस उम्र भर कसता रहता है जिससे की ये कारखाना भी चलता रहे.

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